EPS-95 Pension News 2025 : पेंशनरों के लिए की घोषणा, पेंशन में 7500 की जाएगी बढ़ोतरी, 1 अप्रैल से प्राप्त कर सकते हैं नए लाभ
EPS-95 Pension News: बुढ़ापा जीवन का वह पड़ाव है जब हमारी कमाई के साधन कम हो जाते हैं और स्वास्थ्य संबंधी खर्च बढ़ जाते हैं। ऐसे में पेंशन एक ऐसा सहारा बनती है जो हमें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाए रखती है। भारत में कर्मचारी पेंशन योजना 1995, जिसे आमतौर पर EPS-95 के नाम से जाना जाता है, लाखों सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए वित्तीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।
यह योजना कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा संचालित की जाती है और इसका मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने या रिटायर होने के बाद नियमित आय का जरिया उपलब्ध कराना है। हाल ही में इस योजना के तहत पेंशन राशि में बढ़ोतरी की खबरें आई हैं, जो लाखों पेंशनभोगियों के लिए राहत भरी खबर है। फिलहाल इस योजना के तहत पेंशनभोगियों को अधिकतम 7,500 रुपये तक पेंशन मिलती है, लेकिन महंगाई के इस दौर में यह रकम जीवन यापन के लिए काफी नहीं है। इसलिए पेंशन में बढ़ोतरी की मांग लंबे समय से उठ रही थी, जिस पर अब सरकार विचार कर रही है।
मौजूदा पेंशन प्रणाली
ईपीएस-95 योजना के तहत वर्तमान में एक बड़ी समस्या यह है कि पेंशन की न्यूनतम राशि मात्र 1,000 रुपये है, जो आज के महंगाई के दौर में अपर्याप्त है। इतनी कम राशि में किसी बुजुर्ग व्यक्ति का गुजारा करना लगभग असंभव है। दवाइयां, भोजन और दैनिक खर्च इससे कहीं ज्यादा हैं। दूसरी बड़ी समस्या यह है कि इस योजना में महंगाई भत्ते (डीए) का प्रावधान नहीं है, जबकि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को पेंशन के साथ महंगाई भत्ता भी मिलता है।
महंगाई भत्ते के बिना पेंशनभोगियों की आय स्थिर रहती है, जबकि वस्तुओं और सेवाओं के दाम बढ़ते रहते हैं। इसके अलावा पेंशन की गणना के लिए अधिकतम वेतन सीमा वर्तमान में 15,000 रुपये है, जो 2014 में तय की गई थी। तब से लेकर अब तक वेतन और महंगाई में काफी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इस सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसके कारण अधिक वेतन वाले कर्मचारियों को भी कम पेंशन मिलती है, क्योंकि उनके अंशदान की गणना 15,000 रुपये की सीमा के आधार पर की जाती है।
प्रस्तावित बदलाव
अब अच्छी खबर यह है कि सरकार EPS-95 योजना में कई महत्वपूर्ण बदलाव करने की योजना बना रही है। सबसे पहले वेतन सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर 21,000 रुपये करने का प्रस्ताव है। इस बदलाव से पेंशन की गणना में बड़ा अंतर आएगा और पेंशनभोगियों को ज़्यादा राशि मिलेगी। मौजूदा फॉर्मूले के अनुसार, पेंशन की गणना (पेंशन योग्य वेतन × सेवा अवधि) ÷ 70 के आधार पर की जाती है।
अगर वेतन सीमा बढ़ाकर 21,000 रुपये कर दी जाती है तो अधिकतम पेंशन राशि 7,500 रुपये से बढ़कर 10,050 रुपये हो सकती है। यह बढ़ोतरी पेंशनभोगियों के लिए बड़ी राहत होगी। दूसरा अहम प्रस्ताव न्यूनतम पेंशन को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 7,500 रुपये करने का है। पेंशनभोगियों के संगठन लंबे समय से यह मांग उठा रहे थे और अगर इसे मान लिया जाता है तो इससे करोड़ों पेंशनभोगियों के जीवन में बड़ा बदलाव आएगा। तीसरा अहम प्रस्ताव महंगाई भत्ते का प्रावधान करने का है, जिससे पेंशनभोगियों की क्रय शक्ति बनी रहेगी और उन्हें महंगाई के असर से बचाने में मदद मिलेगी।
न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी: क्यों जरूरी है?
न्यूनतम पेंशन को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 7,500 रुपये करने की मांग महज एक संख्या में बदलाव नहीं है, बल्कि यह लाखों बुजुर्गों के जीवन की गुणवत्ता से जुड़ा मुद्दा है। आज की महंगाई में 1,000 रुपये की पेंशन पर किसी व्यक्ति का गुजारा करना असंभव है। इससे खाने-पीने या दवाइयों का खर्च नहीं निकल पाता। बुजुर्ग लोग अक्सर कई बीमारियों से ग्रसित रहते हैं और उनका इलाज महंगा होता है।
एक अनुमान के अनुसार, एक बुजुर्ग व्यक्ति को हर महीने कम से कम 7,000-8,000 रुपये की जरूरत होती है, जिसमें भोजन, दवाइयां और अन्य दैनिक खर्च शामिल हैं। इसलिए, न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 7,500 रुपये करना एक उचित और न्यायसंगत कदम होगा। इसके अलावा, यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि कई पेंशनभोगी अपने परिवार के अन्य सदस्यों पर भी निर्भर होते हैं, और उन्हें भी वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। इसलिए, पेंशन में वृद्धि से न केवल पेंशनभोगियों को बल्कि उनके परिवार के अन्य सदस्यों को भी लाभ होगा और गरीबी से लड़ने में मदद मिलेगी।
महंगाई भत्ते का प्रावधान
महंगाई हर साल बढ़ती है और इसका सीधा असर पेंशनभोगियों जैसे निश्चित आय पर निर्भर लोगों पर पड़ता है। जब मूल पेंशन राशि सालों तक नहीं बदलती है, लेकिन वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ती रहती हैं, तो पेंशनभोगियों की क्रय शक्ति घटती रहती है। इसलिए, महंगाई भत्ते का प्रावधान बेहद जरूरी है। महंगाई भत्ता (डीए) मूल वेतन या पेंशन के अतिरिक्त दिया जाने वाला भत्ता है, और इसे समय-समय पर महंगाई दर के आधार पर संशोधित किया जाता है।
केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को यह सुविधा मिलती है, लेकिन EPS-95 पेंशनभोगियों को नहीं। महंगाई भत्ते की मांग इसलिए है ताकि EPS-95 पेंशनभोगियों को भी महंगाई से राहत मिल सके और उनकी पेंशन का वास्तविक मूल्य बना रहे। एक अनुमान के मुताबिक, अगर महंगाई भत्ते का प्रावधान लागू होता है तो पेंशनभोगियों को मूल पेंशन के अलावा करीब 30-40% अतिरिक्त राशि मिल सकती है, जिससे उनके जीवन स्तर को सुधारने में मदद मिलेगी।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
पेंशन बढ़ोतरी के अलावा पेंशनभोगियों की एक और अहम मांग है- बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं। बुढ़ापे में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं और इलाज का खर्च भी बढ़ जाता है। कई पेंशनभोगी अपनी सीमित आय का बड़ा हिस्सा दवाओं और इलाज पर खर्च कर देते हैं। इसलिए, मुफ्त या रियायती दरों पर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना बेहद जरूरी है। फिलहाल, EPS-95 पेंशनभोगियों के लिए ऐसी कोई खास स्वास्थ्य योजना नहीं है।
हालांकि सरकार ने आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन सभी पेंशनभोगी इनका लाभ नहीं उठा पाते हैं। पेंशनभोगियों की मांग है कि उन्हें केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों की तरह केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के तहत मुफ्त या रियायती दरों पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए। इससे उन्हें अपनी सीमित पेंशन राशि से स्वास्थ्य पर खर्च करने की चिंता से मुक्ति मिलेगी और वे अपनी अन्य जरूरतों पर ध्यान दे पाएंगे।
पेंशनभोगियों के लिए आवेदन प्रक्रिया और सुझाव
ईपीएस-95 योजना के तहत पेंशन पाने के लिए आवेदन प्रक्रिया सरल है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ईपीएफओ की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर या अपने नजदीकी ईपीएफओ कार्यालय में जाकर फॉर्म 10डी भरना होगा। इस फॉर्म को पहचान प्रमाण, बैंक विवरण और आधार कार्ड की कॉपी जैसे आवश्यक दस्तावेजों के साथ संलग्न करना होगा। आवेदन जमा करने के बाद आवेदक ईपीएफओ की वेबसाइट पर अपने आवेदन की स्थिति की जांच कर सकते हैं।