Date Certificate Birth Certificate:जन्म या मृत्यु तिथि सत्यापन प्रमाण पत्र को लेकर हाईकोर्ट का फैसला, एसडीएम का आदेश रद्द

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Date Certificate Birth Certificate:जन्म या मृत्यु तिथि सत्यापन प्रमाण पत्र को लेकर हाईकोर्ट का फैसला, एसडीएम का आदेश रद्द
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र की तिथि के सत्यापन को लेकर आदेश जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि एसडीएम को मृत्यु तिथि सत्यापित करने का अधिकार नहीं दिया जाएगा। जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को विस्तार से पढ़ें ताकि आपको पूरी जानकारी मिल सके।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है

कि डीएम को जन्म या मृत्यु तिथि सत्यापित करने का अधिकार नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने एटा के एसडीएम के सुधार के आदेश को रद्द कर दिया है और आदेश मिलने के एक सप्ताह के भीतर कानून के अनुसार मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का भी आदेश जारी किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर भीष्मप और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित ने एटा के शीतलपुर ब्लॉक के अवारी गांव निवासी संतोष कुमार की याचिका पर अरविंद कुमार सिंह और सरकारी वकील की ओर से व्यक्त की गई दलीलों पर सुनवाई के बाद जारी किया है।

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हाईकोर्ट ने बिल्वो धरती के मामले में मदरसा हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि यदि जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 की धारा 13 के अनुसार एक वर्ष के भीतर जन्म या मृत्यु का पंजीकरण नहीं कराया गया है, तो प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट या वर्तमान सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा जन्म या मृत्यु का सत्यापन पूरा करने तथा उत्सव शुल्क का भुगतान करने के बाद ही उसका पंजीकरण किया जाएगा।

जन्म या मृत्यु की तारीख सत्यापित करने का अधिकार एसडीएम को नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने एटा के एसडीएम सदर के आदेश को रद्द कर दिया है। साथ ही आदेश मिलने के छह सप्ताह के भीतर विधि अनुसार मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ तथा न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने एटा के शीतलपुर ब्लॉक के अम्बारी गांव निवासी संतोष कुमार की याचिका पर अधिवक्ता अरविंद कुमार सिंह व सरकारी वकील को सुनकर दिया है।

वेलु बनाम मदाथी मामले में मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए

उच्च न्यायालय ने कहा कि जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 की धारा 13(3) के अनुसार, यदि जन्म या मृत्यु का पंजीकरण एक वर्ष के भीतर नहीं किया गया है, तो इसे प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट या प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट द्वारा जन्म या मृत्यु की प्रामाणिकता सत्यापित करने और उचित शुल्क का भुगतान करने के बाद ही पंजीकृत किया जाएगा।

उच्च न्यायालय ने कहा कि अधिनियम या नियमों के तहत कोई विशिष्ट प्रक्रिया निर्धारित नहीं की गई है कि न्यायिक मजिस्ट्रेट जन्म या मृत्यु की प्रामाणिकता कैसे सत्यापित कर सकता है। यह तथ्य कि इस सत्यापन के लिए कोई विशिष्ट प्रक्रिया निर्धारित नहीं की गई है, इसका तात्पर्य यह है कि अधिनियम की धारा 13(3) के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट केवल जन्म या मृत्यु के सत्यापन से संबंधित है।

उपधारा (3) मजिस्ट्रेट को जन्म या मृत्यु की तारीख सत्यापित करने

उपधारा (3) मजिस्ट्रेट को जन्म या मृत्यु की तारीख सत्यापित करने या जन्म या मृत्यु की सही तारीख पर विवाद की स्थिति में जांच करने का अधिकार नहीं देती है। सत्यापन केवल जन्म या मृत्यु के तथ्य की सच्चाई से संबंधित होना चाहिए। मजिस्ट्रेट को इस बात से संतुष्ट होना चाहिए कि जन्म या मृत्यु वास्तव में हुई है। तारीख के बारे में विवाद की स्थिति में जन्म या मृत्यु की सही तारीख तय करना धारा 13 (3) के दायरे से बाहर है। धारा 8 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जन्म या मृत्यु के पंजीकरण के लिए जानकारी देने के लिए बाध्य है, यह उसके ज्ञान या विश्वास पर आधारित हो सकता है।

वीडियो नहीं हैअखियां अपनी एसडीएम सदर को भेज दिया दोनों पक्ष की दलील एवं साक्ष को देखने के बाद एसडीएम ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का प्राथमिक पत्र निरस्त कर दिया है जबकि आज इतनी सक्षम के रूप मेंग्राम द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र और पिता की मृत्यु के बाद बारिश के रूप में खतौनी की प्रविष्टि प्रस्तुत की है इसके बाद आखिरकार एसडीएम सदर के आदेश को रद्द कर दिया है

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